बासेल मानक हिंदी में जाने। Basel standards.
बासेल मानक (Basel standard)-
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio:-):-
प्रत्येक बैंक को पूंजी पर्याप्तता हेतु अपने जोखिम आस्तियों का एक निरिचत अनुपात सी.ए.आर (C.R.R) या सी.आर.ए.आर (C.R.A.R) के रूप में अपने पास रखना पडता है, यह एक जोखिम बफर के रूप में संकट के समय बैंक को स्थिरता बनाये रखने में मदद करता है ।(Each bank has to keep its risk assets in the form of a fixed ratio C.R.R) or C.R.A.R for capital adequacy, as a risk buffer, in order to maintain the stability of the bank at the time of crisis.)
बासेल मानक (Basel standard)-
- बासेल स्विट्जरलैंड (Switzerland) का एक शहर है।
- समिति के सचिवालय बैसल, Switzerland में (बीआईएस) में स्थित है इस्री समिति द्वारा बासेल मानकों का निर्धारण किया जाता है।
- बेसल मानकों का सम्बन्ध बी.आई.एस (बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट) से है। बैंकिग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति दुनिया भर में बैंकिग पर्यवेक्षी मामलों पर नियमित रूप से सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करती है।
इस तरह के मानकों की क्या आवश्यकता है? (Why are such standards required?)
- बासेल माम से प्रथम बासेल समझौते पर 1988 में हस्ताक्षर हुए तथा यह पूंजी पर्याप्तता के न्यूनतम मानकों की अवधारणा को लागू करने के लिए पहले प्रयास के रूप में 1992 से लागू किया गया था।
- इसका नाम बासेल समझोते के रूप में परिवर्तित किया गया तथा दूसरा समझोते बासेल-।।मानदण्डो के रूप में 1999 में अनुमोदित किया गया, तथा 2003 में अंतिम निर्देश दिए गए कि बेसेल-।। मानकों को 2006 से लागू कर दिया कर दिया जायेगा।
- भारत में यह पूरी तरह से 1 अप्रैल 2009 से भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्दशों के तहत लागू किया गया है।
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बेसेल-।। मानकदंड की विशेषताएं↴
➤ बेसेल-।। मानदंड को बासेल में समझोते के सुधार एवं परिकृष्ट रूप के रूप में माना जाता है।
➤ बेसेल ।। मुख्यत: तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित है पूंजी पर्याप्तता (Capital Adequacy), पर्यवेक्षी समीक्षा (Supervisory Review) और बाजार नियमीकरण (Market Discipline)।
➤ बेसेल समिति के कारक यह तीन स्तम्भ है जो कि जोखिम से सुव्यवस्थित करते है।
बासेल-।।। मानकदंड (Basel-।।। standards) -
➤ बेसेल तृतीय पूंजी मानकों 1 जनवरी 2013 से शुरू कर दिया है तथा यह पूरी तरह से 31 मार्च 2019 तक लागू किये जायेंगे । बासेल (।।।) के मसौदा कं दिशा निर्देशो में न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं और पूंजी संरक्षण वफर आवश्यकताओं को लागू करने की आवश्यकता है ।(Basel III Capital Standards have been started from 1 January 2013 and will be fully implemented till 31 March 2019. The guidelines of Basel (III) need to implement the minimum capital requirements and capital protection gap requirements in the guidelines.)
➤ कोर पूँजी (चुकता पूंजी + वरीयता अंश द्वारा प्रदत्त पूँजी) को जोखिम आस्तियों का 5-5०/० होना चाहिए ।
➤ कूल टियर (ⅰ) आस्तियों को जोखिम भारित आस्तियों का 7% होना चाहिए।
➤ कूल आस्तियों को जोखिम भारित आस्तियों का 9% होना चाहिए।
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