जयशंकर प्रसाद ऐतिहासिक नाटकों की रचना करने वालों में हिन्दी के प्रमुख नाटककार माने जाते हैं।
निर्देश : निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों (प्रश्न संख्या 41 से 44 तक) के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए :
जयशंकर प्रसाद ऐतिहासिक नाटकों की रचना करने वालों में हिन्दी के प्रमुख नाटककार माने जाते हैं। भारत के अतीत गौरव का चित्रण करने के साथ-साथ उन्होंने अपने नाटकों में राष्ट्रीयता की भावना को भी अभिव्यक्त किया है। प्रसाद जी के नाटकों के विषय बौद्ध काल, मौर्यकाल एवं गुप्तकाल से संबंधित हैं, जो भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग कहा जाता है। अपने नाटकों में प्रसाद जी ने अतीत के पट पर वर्तमान का चित्रण किया है तथा इतिहास और कल्पना का संतुलित समन्वय भी उनके नाटकों में उपलब्ध है। उन्होंने अपने नाटकों में भारतीय संस्कृति, जातीय गौरव एवं राष्ट्रीयता के गौरवपूर्ण चित्र अंकित किए हैं। नाट्य शिल्प की दृष्टि से प्रसाद जी के नाटक कहीं अधिक बेजोड़ हैं। उनके नाटकों में भारतीय एवं पाश्चात्य नाट्यकला का संतुलित समन्वय हुआ है। उनके नाटक सुखान्त न होकर प्रसादान्त हैं जिनमें नायक को अंतिम फल प्राप्त होने पर भी विषाद की एक हल्की छाया बाकी रह जाती है। रंगमंच एवं अभिनय की दृष्टि से प्रसाद के नाटक सफल नहीं कहे जा सकते। लम्बे कथानक, दृश्यों की बहुलता, पात्रों की अधिकता, दार्शनिक विवेचन, क्लिष्ट भाषा एवं स्वगत कथनों के कारण उनके नाटकों का मंचन तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि किसी कुशल संपादक द्वारा नाटक का संपादन न किया जाए। लाक्षणिक पदावली से युक्त भाषा भी सामान्य दर्शकों के लिए दुरुह है।
वस्तुतः उनके नाटक पाठ्य अधिक हैं, अभिनेय कम। प्रसादजी के प्रमुख नाटक हैं- विशाख, अजातशत्रु, राज्यश्री, जनमेजय का नागयज्ञ, स्कन्दगुप्त, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी। इनमें कलात्मक उत्कृष्टता, चन्द्रगुप्त एवं ध्रुवस्वामिनी को विशेष महत्त्व दिया जा सकता है।
41. प्रसाद के नाटकों की विशेषताएँ नहीं हैं:
(A) अतीत के पट पर वर्तमान का चित्र
(B)भारतीय एवं पाश्चात्य नाट्यकला का समन्वय
(C) रंगमंचीयता एवं अभिनेयता की दृष्टि से सफल
(D) सुखांत न होकर प्रसादांत होना
42. प्रसाद के नाटक रंगमंच के लिए क्यों उपयुक्त नहीं हैं ?
(A) पात्रों की अधिकता
(B)विशृंखलित कथानक
(C) क्लिष्ट भाषा
(D) उपर्युक्त सभी
43. प्रसाद का कौन-सा नाटक अभिनय की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है ?
(A) ध्रुवस्वामिनी
(B) स्कन्दगुप्त
(C)अजातशत्रु
(D) चन्द्रगुप्त
44. उपर्युक्त गद्यांश की शैली है :
(A)आलोचनात्मक
(B) विवेचनात्मक सागर
(C) विवरणात्मक
(D) कथोपकथन
(D) कथोपकथन
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