राष्ट्रीय आय-national income क्या है?
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National Icome |
राष्ट्रीय आय के स्रोत (National income sources)-
यह कह देना सही नहीं हुआ कि जिन देशों के पास प्राकृतिक रूप से उपजाऊ भूमि खनिज वनस्पतियां व भू संपत्ति उपहार में मिले हैं वह देश सबसे धनी हैं। वास्तव में संसाधन संपन्न अफ्रीका और लैटिन अमेरिका विश्व के सबसे गरीब देश हैं जबकि यह भी देखने को मिलता है कि विश्व के अनेक देश जिनके पास कोई प्राकृतिक संसाधन उपहार के रूप में नहीं मिले हैं फिर भी वह देश अन्य देशों की अपेक्षा बहुत अधिक समृद्ध है। वह समय और था कि जब प्राकृतिक संसाधनों को अधिक प्रायिकता दी जाती थी। किसी देश के समृद्ध होने के लिए संसाधनों का होना आवश्यक नहीं है। बल्कि आवश्यक है कि उन संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए ताकि उत्पादन का प्रवाह उत्पन्न हो जिससे समय के साथ-साथ उत्पादन बढ़ता रहे। जिससे आए और संपत्ति को अधिक से अधिक उत्पन्न किया जा सके।
राष्ट्रीय आय की परिभाषा-
ब्रिटिश अर्थशास्त्री John Maynard Keynes के अनुसार- राष्ट्रीय आय किसी भी देश द्वारा एक वित्तीय वर्ष में निर्मित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं का मौद्रिक निरूपण है।
राष्ट्रीय आय की गणना-
उत्पाद विधि में हम उत्पादित बस्तुओं और सेवाओं के वार्षिक मूल्य की गणना करते हैं। उदाहरण के लिए अर्थव्यवस्था में केवल दो प्रकार के उत्पादक हैं। एक गेहूं उत्पादक किसान और एक ब्रेड निर्माता है। गेहूं उत्पादक गेहूं का उत्पादन करते हैं और उन्हें मानव श्रम के अलावा किसी भी प्रकार के लागत की आवश्यकता नहीं होती है। वे गेहूं का कुछ अंश ब्रेड निर्माता को बेचते हैं। ब्रेड निर्माता को ब्रेड के उत्पादन में गेहूं के अतिरिक्त अन्य किसी कच्चे माल की आवश्यकता नहीं होती है।
अब मान लीजिए कि किसान द्वारा 1 वर्ष में उत्पादित गेहूं का मूल्य 100₹ हैं जिसमें से किसान ने 50₹ का गेहूं ब्रेड निर्माता को बेच दिया था। ब्रेड निर्माता गेहूं की इस मात्रा का उपयोग करके 1 वर्ष में 200₹ का ब्रेड बनाता है। अब हमें अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन का मूल्य निकालना है ताकि राष्ट्रीय आय की गणना की जा सके।
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अगर सीधे-सीधे अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन का मूल्य निकाला जाए तो इसका उत्तर होगा-
= किसान द्वारा उत्पादित गेहूं का मूल्य + ब्रेड निर्माता द्वारा उत्पादित ब्रेड का मूल्य
= 100₹ + 200 ₹
उत्तर आया = 300 ₹
यह उत्तर गलत है। क्योंकि थोड़ा-सा तर्क-वितर्क किया जाए तो हम पाएंगे कि समस्त उत्पादन का मूल्य 300₹ नहीं है।
अब हम पुनः गणना करेंगे ताकि सही उत्तर ज्ञात कर सके, अर्थव्यवस्था में किसान एक बर्ष में 100₹ के गेहूं की उपज करता है। जिसके लिए उसे किसी भी प्रकार के अन्य लागत की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन ब्रेड निर्माता 1 वर्ष के दौरान 200₹ के ब्रेड का निर्माण करता है। जिसमें से उसे 50₹ का गेहूं किसान से लेना पड़ता है। यह 50₹ ब्रेड निर्माता के द्वारा 1 वर्ष में बनाए गए 200₹ के ब्रेड के मूल्यों में से घटाने पड़ेंगे ताकि हम 1 वर्ष में ब्रेड निर्माता द्वारा बनाए गए ब्रेड का नेट मूल्य निकाल सकें।
1 बर्ष में ब्रेड निर्माता द्वारा उपज का नेट मूल्य = ब्रेड निर्माता द्वारा उत्पादित ब्रेड का मूल्य – किसान से लिया गया कच्छा माल
= 200₹ – 50₹
= 150 ₹
अतः सही उत्तर होगा = किसान द्वारा उत्पादित गेहूं का मूल्य + 1 बर्ष में ब्रेड निर्माता द्वारा नेट बचत
= 100₹ + 150₹
= 250 ₹
यह 250₹ रूपये अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन में भाग लेंगे।
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